Joshimath: जोशीमठ में दीवारों में दरार और जमीन के धंसने के पीछे एक नया कारण सामने आया है। दरअसल शहर के सबसे निचले हिस्से में जेपी कॉलोनी में फूटे झरने के कारण घरों और दीवारों में दरार पैदा कर रहा है। ये जमीन के नीचे जमा पानी है जो शहर में बने घरों, होटलों और भवनों की बुनियाद को खोखला कर रहा है। इस अज्ञात झरने को जेपी कॉलोनी में पाया गया है। अब ये अपना रास्ता कैसे शहरी इलाकों में बना रहा है. ये जाँच का विषय है।
वही ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की है। उन्होंने कहा है कि पिछले एक साल से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं। सीढ़ीदार ढंग से बसे जोशीमठ में तबाही के समय सरकार ड्रेनेज सिस्टम का इंतजाम नहीं कर पाई। बरसात का कुछ पानी ढलान पर बसे इस शहर में ऊपर से नीचे उतरता हुआ नीचे बह रही अलकनंदा नदी में मिल जाता है. बाकी पानी शहर की उस धरती में रिसता रहता है, जो ग्लेशियर से बहाकर लाए गए लूज वोल्डर और मिट्टी के मलबे से बनी है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए था।
जेपी कॉलोनी में जब सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब 6 दिन पहले एक रात अचानक एक झरना फूट पड़ा। झरने का मटमैला पानी दिन रात लगातार बह रहा है। जोशीमठ में बिजलीघरों पर भी भू-धंसाव का खतरा आ रहा है। UPCL के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि एक सब स्टेशन और अन्य बिजलीघर ज्यादातर हाईवे के पास हैं। जिस तरह से भू-धंसाव की खबरें आ रही हैं, उस हिसाब से बिजली व्यवस्था को सुचारु व सुरक्षित रखना भी चुनौती है।
PMO ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई
These decisions were taken after Principal Secretary to Prime Minister PK Mishra today held a high-level review meeting on Joshimath situation.
— ANI (@ANI) January 8, 2023