लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोहिया पार्क एमफी थिएटर में शनिवार को वी यंगस्टर्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित नुक्कड़ नाटक श्रृंखला प्रतियोगिता पैग़ाम 2024 “पैग़ाम ज़िंदगी का” सफल समापन हुआ। पैग़ाम के प्री राउंड में लखनऊ के सिटी लॉ कॉलेज, फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इमेट्स, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंस, गोयल इंस्टीट्यूट, अवध वेलफेयर सोसाइटी(उद्घोष), जी.सी.आर.जी, एल.पी.सी.पी.एस, लाल बहादुर शास्त्री गर्ल्स कॉलेज, बीबीडी, एलयू एवं अन्य विश्वविद्यालयों के 400 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया।
“पैग़ाम 2024” की थीम इस वर्ष “ज़िंदगी में ज़िंदगी से ज्यादा जरूरी कुछ भी नहीं है”। इस थीम के जरिए युवाओं ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से देश में हर साल 4.21%(60 लाख) से अधिक आत्महत्याओं को रोकने व उनके कारणों पर प्रकाश डाला एवं लोगों को जागरूक करने का संदेश दिया।
पैग़ाम 2024 के प्री राउंड में सलेक्टेड 10 टीमों को शहर के प्रसिद्ध बॉलीवुड कलाकार वरुण टमटा और आनंद असवाल ने चार दिनों तक वर्कशॉप के जरिए निखारा। जिसके बाद उन 10 टीमों ने 10 अलग-अलग स्कूलों में परफॉर्म किया और वहां से चुनी गई तीन टीमें फाइनल तक पहुंची। इस बार के नुक्कड़ नाटक में 1090 वूमेन हेल्पलाइन की महिलाओं और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड (नैब) के दृष्टिबाधित बच्चों ने भी नुक्कड़ का प्रदर्शन किया। जिसे देखना बेहद ही विहंगम था। “पैग़ाम ज़िंदगी का” विषय पर आधारित अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति से यह संदेश दिया कि ज़िंदगी अमूल्य है और आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
नुक्कड़ प्रतियोगिता के प्रथम प्रस्तुति आईटी गर्ल्स कॉलेज, द्वितीय प्रस्तुति में सिटी लॉ कॉलेज एवं तृतीय प्रस्तुति में एलपीसीपीएस ने ज़िंदगी में ज़िंदगी से ज्यादा जरूरी नहीं की थीम को अपने नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया। जिसमें पहले स्थान पर एलपीसीपीएस, द्वितीय स्थान पर सिटी लॉ कॉलेज और तृतीय स्थान पर आईटी गर्ल्स कॉलेज रही।
वहीं कार्यक्रम में मौजूद जजेस अजीत सिंह, दिवाकर सिंह, श्रीमती दिव्या भारद्वाज, नवल कान्त सिन्हा एवं श्रीमती डॉ दीप्ति सिंह और दर्शकों ने अपनी तालियों के माध्यम से इनकी प्रस्तुतियों को खूब सराहा। पिछले 10 वर्षों से वी यंगस्टर्स फाउंडेशन द्वारा पैग़ाम नुक्कड़ नाटक श्रृंखला के माध्यम से समाज के मध्य कुछ अहम सामाजिक समस्याओं जैसे महिला सशक्तिकरण, दहेज उत्पीड़न,प्रकृति का संरक्षण, रिश्तों की आजादी जैसे मुद्दों पर नुक्कड़ के माध्यम से आवाज उठाता रहा है।
कार्यक्रम में अहम सम्मान श्रेणी कमल मिश्रा सम्मान हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी दिया गया। जिसमें डायल 112 की टीम जो आत्महत्याओं जैसी समस्याओं पर कई तरह के जागरूकता कार्यक्रमों और डिजिटल माध्यमों से भी ऐसी घटनाओं का निस्तारण कर रहा है। यही एक बड़ा कारण है कि वी यंगस्टर्स फाउंडेशन पैग़ाम 2024 के मंच से डायल 112 की टीम को अपने सबसे महत्वपूर्ण सम्मान “कमल मिश्रा सम्मान” से सम्मानित कर रहा है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और गेस्ट ऑफ हॉनर के रूप में माननीय न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह एवं माननीय न्यायमूर्ति ब्रिजराज सिंह उपस्थित रहे। गणमान्य अतिथियों के रूप में आईबी सिंह जी, महेंद्र दयाल जी, विनोद चंद्रा जी, अनिल प्रताप सिंह जी, एन के सेठ जी, माननीय न्यायमूर्ति रंगनाथ पांडे जी, पुनीत अस्थाना जी, केशव पंडित जी, अंजलि पांडे, सुधीर सिंह जी, मुकेश वर्मा जी, नरेंद्र पंजवानी जी, साहब राशिद खान, डॉ, आरबी सिंह जी, नदीम मुर्तजा जी, रितेश कुमार जी, डॉ, निशांत जी, मयंक श्रीवास्तव जी, आनंद असवाल जी, श्रीमती आरती सिंह जी, डॉ. पीके श्रीवास्तव जी, श्रीमती रुपाली चंद्रा, रबिश जी, एसपी सिंह जी, श्रीमती किरण यादव उपस्थित रहे।
पैग़ाम की सहयोगी संस्थाओं के रूप में विकास बाबू फोटोग्राफी, अस्तित्व फाउंडेशन, मोटिवेजर्स क्लब, दैनिक भास्कर, शिरोज़ हैंगआउट, रेगमाल फिल्म, पॉक्ट ग्रुप, कटरन, वी फार्मेसी, नैब, गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन, विजन, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन रहे।
वी यंगस्टर्स फाउंडेशन लखनऊ में पिछले 10 वर्षों से वर्तमान समय तक समाज की कुरीतियों व घट रही अप्रिय घटनाओं पर शोध कर उन विषयों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कई तरह की जागरूकता पहल करने का प्रयास समय समय पर करती रही है।
वी यंगस्टर्स फाउंडेशन एसिड अटैक, वूमेन सेफ्टी, दहेज प्रथा(दहेज देना भी है हराम),रिश्तों में हो रहे मानसिक तनाव, आधुनिकीकरण से पहुंच रहे नुकसान और इस वर्ष मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जोर देते हुए ऐसे कई अन्य विषयों पर कार्य करते रहे हैं। साथ ही यह संस्था युवाओं को उनके पाठ्यक्रम गतिविधियों में मदद करती है और जरूरत मन्दो को कपड़े वितरित करने का कार्य भी कर रही है। पिछले 10 वर्षों से युवाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करता आ रहा है जिसमें लखनऊ के सभी विश्विद्यालयों व शैक्षिक संस्थानों के युवा भाग लेते हैं और तरह-तरह के सामाजिक विषयों से जुड़े नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति देते हैं।
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