Brics Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस में हो रहे 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने अपनी यात्रा से पहले कहा है कि भारत और रूस के संबंध और ज्यादा मजबूत होंगे। साथ ही साथ पीएम मोदी ने बताया कि इस सम्मेलन में किन मुद्दों पर बातचीत होगी।
16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22-24 अक्टूबर, 2024 को रूस के कज़ान में हो रहा है, जो अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के उद्देश्य से गैर-पश्चिमी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ़्रीका और नए सदस्य देशों के नेता शामिल हैं, जो आर्थिक सहयोग, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन और शी जिनपिंग जैसे नेताओं के बीच प्रमुख द्विपक्षीय बैठकें निर्धारित हैं, जिनमें संभावित रूप से यूक्रेन संघर्ष और क्षेत्रीय स्थिरता को शामिल किया जा सकता है। 30 से अधिक देशों ने ब्रिक्स में शामिल होंगे, जो इसके बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है। यह कार्यक्रम चल रहे वैश्विक शक्ति परिवर्तनों के बीच पश्चिमी आर्थिक प्रभुत्व के विकल्पों को बढ़ावा देने में रूस की भूमिका को भी उजागर करता है।
प्रमुख नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता
पीएम मोदी मंगलवार को 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कज़ान के लिए रवाना हो चुके हैं। पिछले साल हुए विस्तार के बाद यह समूह का पहला शिखर सम्मेलन होगा। शिखर सम्मेलन मंगलवार को शुरू होगा और विचार-विमर्श का मुख्य दिन बुधवार होगा।
पीएम मोदी के रूस रवाना होने से पहले भारत ने कहा कि भारत ब्रिक्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि मोदी ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने कई समकक्षों और कज़ान में आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। पीएम मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी ब्रिक्स समिट के लिए रूस जा रहे हैं। खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में भी योगदान देता है। उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं द्वारा कज़ान घोषणापत्र को भी अपनाने की उम्मीद है, जो ब्रिक्स के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा।’’
जिनपिंग और मोदी में द्विपक्षीय वार्ता होगी?
पीएम मोदी के अलावा रूस में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी रूस जा रहे हैं। सोमवार को चीन ने जिनपिंग के रूस दौरे पर कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला यह समूह बहुपक्षवाद को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध एक सकारात्मक और स्थिर शक्ति बना हुआ है। हालांकि, जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात से जुड़े सवाल को टाल गया।
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