दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal ) ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आज आपात बैठक बुलाई है, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और दिल्ली के मुख्य सचिव बैठक में हिस्सा लेंगे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की पीठ ने कहा, “हमें बताएं कि हम एक्यूआई को 500 से कम से कम 200 अंक कैसे कम कर सकते हैं। कुछ जरूरी उपाय करें। क्या आप दो दिनों के लॉकडाउन या कुछ और के बारे में सोच सकते हैं? कैसे क्या लोग जी सकते हैं?” शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में है और अगले दो से तीन दिनों में इसमें और गिरावट आएगी। कोर्ट ने केंद्र से आपात्कालीन फैसला लेने को कहा है। अदालत ने कहा, “हम बाद में दीर्घकालिक समाधान देखेंगे।”
दिल्ली में वायु प्रदूषण पर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, ”छोटे बच्चों को इस मौसम में स्कूल जाना पड़ता है, हम उन्हें इसका पर्दाफाश कर रहे हैं। डॉ गुलेरिया (एम्स) ने कहा कि हम उन्हें प्रदूषण, महामारी और डेंगू के संपर्क में ला रहे हैं।”
वायु प्रदूषण की आपात स्थिति पर ध्यान देना होगा
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आज की बैठक में सरकार को वायु प्रदूषण की आपात स्थिति पर ध्यान देना होगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट से मशविरा किया गया था और उसके मुताबिक पराली जलाने के मामले में दिल्ली की हवा स्थिर रही। इस तरह केंद्र ने कहा कि 18 नवंबर तक हमें सतर्क रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि स्मॉग टावर्स और उत्सर्जन नियंत्रण परियोजनाओं को स्थापित करने के उसके फैसले का क्या हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि उसने राष्ट्रीय राजधानी में सभी स्कूल खोल दिए हैं और अब बच्चों के फेफड़े प्रदूषकों के संपर्क में हैं।
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