लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीद में ‘गड़बड़ी’ का मामला फिर से चर्चा में आ गया है। विपक्ष ने जमीन खरीद में घोटाले के ताजा आरोप लगाए हैं। ये आरोप आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से लगाए गए हैं। इन आरोपों के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। यूपी सरकार ने अधिकारियों को एक हफ्ते के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। सरकार ने सचिव स्तर पर मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं।
5 किलोमीटर के दायरे में 14 बार खरीदी गई जमीन?
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सप्ताह के भीतर जांच की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही एडिशनल जनरल सेक्रेटरी (राजस्व) मनोज कुमार सिंह ने बताया है कि एक सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से 14 ऐसे केस आए हैं, जहां 5 किलोमीटर के दायरे में जमीन की खरीद की गई है।
महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट पर लगे आरोप
रिपोर्ट के मुताबिक, जमीन खरीद के इन लेन-देन के एक सेट में विक्रेता महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (MRVT) था, जो दलित ग्रामीणों से जमीन की खरीद में कथित अनियमितताओं के आरोपों से घिरा है। इसके अलावा हैरान करने वाली बात ये है कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की जांच उन्हीं अधिकारियों द्वारा की जा रही है जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी थी और हितों के टकराव का सवाल उठा रहे थे।
जमीन खरीदने वालों में किस-किस के नाम
आपको बता दें कि 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अयोध्या में विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा। वहीं मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन अलग से आवंटित की जाएगी। इसके बाद सामने आया है कि राम मंदिर निर्माण स्थल के पास जमीन खरीदने वालों में एक विधायक, महापौर, राज्य ओबीसी आयोग का सदस्य, संभागीय आयुक्त के रिश्तेदार, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस के सर्कल अधिकारी शामिल थे।
यह भी पढ़ें…