Up News : औरैया के दिबियापुर से सटे गांव सेहुद में तालाब की खुदाई के दौरान एक खंडित मूर्ति निकली। लखनऊ पुरातत्व विभाग ने पुष्टि की है कि यह 10वीं शताब्दी की भगवान सूर्य की मूर्ति है। इसपर नागरी लिपि से कुछ लिखा भी है। फिलहाल जिला प्रशासन को सूचना देकर मूर्ति को टीले पर रख दिया गया है। सेहुद गांव में शनिवार को तालाब की खुदाई हो रही थी, तभी एक खंडित मूर्ति मिली।
भगवान सूर्य की प्राचीन मूर्ति
मजदूरों ने प्रधान प्रतिनिधि स्वदेश राजपूत और पंचायत अधिकारी ब्रजेंद्र त्रिपाठी को जानकारी दी। एसडीएम सदर मनोज कुमार का कहना है कि उन्होंने टीम भेजकर जांच कराई है। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग को भी सूचना दी है। इतिहासकार अविनाश अग्निहोत्री बताते हैं कि प्रतिहार वंश के समय भगवान सूर्य की कई प्रतिमाएं स्थापित हुई थीं। 1019 ई. में महमूद गजनवी ने कन्नौज में आक्रमण कर सब तहस-नहस कर दिया था। कालिंजर अभियान कन्नौज से औरैया के देवकली मंदिर तक चला था। यह मूर्ति भी तभी की हो सकती है।
पुरातत्व विभाग लखनऊ के उपनिदेशक नर सिंह त्यागी ने कहा, ‘सूर्य मूर्ति खंडित है, सिर्फ पीठ ही रह गई। प्रतिमा के बाएं ओर दंड था, जो टूट चुका है। पैर के निशान शेष हैं। बाएं ओर पिंगल हैं, जो दाहिने हाथ में लेखनी लिए हैं। पीछे एक अनुचर है।’
कस्बा याकूबपुर के निकट गांव धुपकरी में भी दो साल पहले टीले पर सूर्य प्रतिमा निकल चुकी है। वह प्रतिमा चार फीट ऊंची है, जिसकी ग्रामीण चबूतरा बनाकर पूजा कर रहे हैं। यहां राजा जयचंद के समय की सुरंग के भी अवशेष मिलते रहे हैं। करीब एक सैकड़ा मंदिर और कुएं होने का प्रमाण इटावा गजेटियर में भी हैं। बताया जाता है कि जब धुपकरी गांव पर गौरी सेना ने आक्रमण किया था, तब इन्हीं कुओं से लाखों की संख्या में निकलीं बर्र (जहरीला कीड़ा) ने गौरी सेना को खदेड़ दिया था।
खुदाई में पहले भी मूर्तियां और करीब तीन क्विंटल का नादिया, पुरातन काल के सिक्के, बर्तन व अन्य भग्नावशेष मिल चुके हैं। इसी गांव के मध्य में स्थित धौरा नाग मंदिर पर आज तक छत नहीं डाली जा सकी है। मान्यता है कि यहां साक्षात नाग देवता रहते हैं, जो अक्सर ग्रामीणों को दर्शन देते हैं। जब भी मंदिर पर छत डालने की कोशिश की गई तभी लोगों का अनिष्ट हुआ।
यह भी पढ़ें…