ऊर्जा आर्थिक विकास का आधार है एवं उच्च जीवन स्तर हेतु ऊर्जा का अभीष्ट उपयोग अनिवार्य है। ऊर्जा की खपत एवं मांग में दिनोंदिन वृद्धि होती जा रही है। यह स्पष्ट है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन हेतु व्यापारिक स्तर पर कोयला पेट्रोल प्राकृतिक गैस जैसे उर्जा स्रोतों की मांग 1960 के पश्चात बहुत बढ़ गई है। अगले आने वाले 20 से 25 वर्षों में विश्व में ऊर्जा की खपत दोगुनी होने का अनुमान है।
ऊर्जा संकट के प्रमुख कारण
1. तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के लिए अधिक मात्रा में उर्वरकों एवं उपकरणों के साथ साथ सिंचाई साधन विकसित करना। वर्तमान में कुल ऊर्जा व्यय का 80% पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भर है।
2. नगरीकरण में वृद्धि के साथ-साथ अधिक ऊर्जा की मांग।
3. कच्ची सामग्री की कमी के साथ नए कच्ची सामग्री स्रोतों अथवा निम्न कोटि की कच्ची सामग्री के परिष्करण अथवा अधिक गहरी खानों से खनिज प्राप्त है। तो अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा का उपयोग।
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