पुलिस के अनुसार अभी तक सभी नौ लॉकरों से गहने चोरी होने की वारदात में सभी के लॉक टूटे होने की समानता पाई गई थी। पीड़ितों ने जब अपने लॉकर अपनी चाभी से खोले थे तो वो फंस गए थे। पुलिस के अनुसार राजा बेटी गुप्ता के मामले में ऐसा नहीं हुआ है। जब पीड़िता ने अपनी चाबी लॉकर में लगाई तो वो आसानी से खुल गया।
कानपुर में फीलखाना स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सोमवार को दसवें लॉकर से भी करीब 35 लाख के गहने चोरी होने का मामला प्रकाश में आया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की है। इसके पहले नौ लॉकरों से करीब ढाई करोड़ के गहने चोरी होने का मामला सामने आ चुका है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में अनऑपरेट लॉकरों को तोड़ने की प्रक्रिया के दौरान 29 लॉकरों को तोड़ने की आड़ में कुछ अन्य लॉकरों को निशाना बनाया गया था। जनवरी में सबसे पहले सीता गुप्ता ने लॉकर से 20 लाख के गहने चोरी होने का आरोप लगाया था। बैंक प्रबंधन ने उल्टा उन्हें ही डांटकर भगा दिया।
दो महीनों बाद मंजू भट्टाचार्या ने भी उनके लॉकर से 30 लाख के गहने चोरी होने का आरोप लगाते हुए फीलखाना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद बैंक लॉकरों से चोरी होने के सात नए मामले भी प्रकाश में आए तो पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया।
खुलासे के लिए लगाई गई क्राइम ब्रांच ने जांच पड़ताल में तत्कालीन बैंक मैनेजर रामप्रसाद, लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय, लॉकर तोड़ने वाले अधिकृत मिस्त्री चंद्रप्रकाश व उसके तीन अन्य साथियों की लॉकर से गहने चोरी करने में भूमिका पाते हुए रविवार को सभी को जेल भेज दिया था।
सोमवार को ही शुभम को जेल भेजा गया है। इस बीच सोमवार दोपहर सेंट्रल बैंक में अपना लॉकर चेक करने पहुंचीं राजा बेटी गुप्ता ने भी उनके लॉकर से 35 लाख के गहने चोरी होने का आरोप लगा हंगामा किया। लॉकर से गहने गायब होने की एक और घटना से बैंक के सभी अधिकारी और कर्मचारी सकते में आ गए।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने उन्हें जांच पड़ताल के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया है। थाना प्रभारी वीर पाल सिंह के अनुसार कुछ लॉकरों को चेक किया जाना बाकी है। पूर्व में दर्ज तीन मुकदमों में ही सभी नए मामलों को सम्मिलित किया जाएगा।
अलग तरीके से पार हुए पीड़िता के गहने
पुलिस के अनुसार अभी तक सभी नौ लॉकरों से गहने चोरी होने की वारदात में सभी के लॉक टूटे होने की समानता पाई गई थी। पीड़ितों ने जब अपने लॉकर अपनी चाबी से खोले थे तो वो फंस गए थे। पुलिस के अनुसार राजा बेटी गुप्ता के मामले में ऐसा नहीं हुआ है। जब पीड़िता ने अपनी चाबी लॉकर में लगाई तो वो आसानी से खुल गया। प्रथम दृष्टया लॉकर में कहीं कोई छेड़छाड़ किए जाने के भी साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसके बाद भी लॉकर से गहने कैसे गायब हुए, इसकी जांच की जा रही है।
विस्तार
कानपुर में फीलखाना स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सोमवार को दसवें लॉकर से भी करीब 35 लाख के गहने चोरी होने का मामला प्रकाश में आया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की है। इसके पहले नौ लॉकरों से करीब ढाई करोड़ के गहने चोरी होने का मामला सामने आ चुका है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में अनऑपरेट लॉकरों को तोड़ने की प्रक्रिया के दौरान 29 लॉकरों को तोड़ने की आड़ में कुछ अन्य लॉकरों को निशाना बनाया गया था। जनवरी में सबसे पहले सीता गुप्ता ने लॉकर से 20 लाख के गहने चोरी होने का आरोप लगाया था। बैंक प्रबंधन ने उल्टा उन्हें ही डांटकर भगा दिया।
दो महीनों बाद मंजू भट्टाचार्या ने भी उनके लॉकर से 30 लाख के गहने चोरी होने का आरोप लगाते हुए फीलखाना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद बैंक लॉकरों से चोरी होने के सात नए मामले भी प्रकाश में आए तो पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया।
खुलासे के लिए लगाई गई क्राइम ब्रांच ने जांच पड़ताल में तत्कालीन बैंक मैनेजर रामप्रसाद, लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय, लॉकर तोड़ने वाले अधिकृत मिस्त्री चंद्रप्रकाश व उसके तीन अन्य साथियों की लॉकर से गहने चोरी करने में भूमिका पाते हुए रविवार को सभी को जेल भेज दिया था।