Jagannath Rath Yatra 2022 : छत्तीसगढ़ का बस्तर हमेशा से ही अपनी कला, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्यता को लेकर पूरे देश में जाना जाता है। बस्तर का दशहरा हो या फिर बस्तर में मनाए जाने वाला गोंचा पर्व रथयात्रा, इन महापर्वो में बस्तर में अदा की जाने वाली सभी रस्म को देखने लोग दूर-दूर से बस्तर पहुचते हैं और खूबसूरत वादियों के बीच आदिवासी समाज की संस्कृति और सभ्यता का गवाह बननते हैं।
दरअसल बस्तर के विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व के बाद गोंचा पर्व को दूसरे बड़े पर्व का दर्जा दिया गया है। करीब 600 सालों से चली आ रही परंपराओं के मुताबिक इस पर्व को 27 दिनों तक मनाया जाता है। जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर बस्तर में भी भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र के तीन विशालकाय रथ निकाले जाते हैं, और शहर में इसकी परिक्रमा कराई जाती है, इस परम्परा को देखने हजारो की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। इस साल भी भारी बारिश के बावजूद धूमधाम से रथयात्रा निकाली गई।
रथ यात्रा का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा इन्द्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ को शबर राजा से यहां लेकर आए थे तथा उन्होंने ही मूल मंदिर का निर्माण कराया था जो बाद में नष्ट हो गया। इस मूल मंदिर का कब निर्माण हुआ और यह कब नष्ट हो गया इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ययाति केशरी ने भी एक मंदिर का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान 65 मीटर ऊंचे मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल गंगदेव तथा अनंग भीमदेव ने कराया था। परंतु जगन्नाथ संप्रदाय वैदिक काल से लेकर अब तक मौजूद है।
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