SBI ने दिया झटका, महंगा कर दिया लोन
SBI: भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सभी अवधियों के लिए एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट में 5 बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) की वृद्धि की है।
एसबीआई के इस कदम से उधरकर्ताओं के लिए ईएमआई में इजाफा होगा। वृद्धि के साथ ईएमआई उन उधरकर्ताओं के लिए बढ़ जाएगी। जिन्होंने एमसीएलआर पर लोन लिया है न कि उन लोगों के लिए जिनके लोन अन्य बेंचमार्क से जुड़े हुए हैं।
भारतीय स्टेट बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट की गई जानकारी के मुताबिक संशोधित एमसीएलआर दर 15 जुलाई से प्रभावी है। संशोधन के साथ ही 1 वर्ष का एमसीएलआर 8.50 फीसदी से बढ़कर 8.55 फीसदी हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकतर लोन 1 वर्ष की एमसीएलआर दर से जुड़े होते हैं।
ओवरनाइट एमसीएलआर दर को 5 बीपीएस बढ़ाकर 7.95 प्रतिशत से 8 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि, 1 महीने के लिए एमसीएलआर दर 8.10 से 8.15 प्रतिशत कर दिया गया है और 3 महीने के पीरियड के लिए एमसीएलआर दर को भी 8.10 से 8.15 प्रतिशत कर दिया गया है।
अगर हम 6 महीने की एमसीएलआर दर की बात करें तो फिर यह 5 बीपीएस बढ़कर 8.45 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही 1 वर्ष का एमसीएलआर 0.5 बीपीएस बढ़कर 8.50 से 8.55 प्रतिशत हो गई है। वही, 2 वर्ष की 8.65 प्रतिशत और 3 वर्ष की 8.75 प्रतिशत हो गई है।
1 अक्टूबर 2019 से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित सभी बैंकों को सिर्फ बाहरी बैंचमार्क जैसे आरबीआई की रेपो रेट या ट्रेजरी बिल उपज से जुड़ी ब्याज दर पर उधार देना होगा। इसके परिणाम स्वरूप बैंकों के द्वारा मौद्रिक नीति प्रसारण को गति मिली है।
मॉनेटरी ट्रांसमिशन पर लोन के बाहरी बेंचमार्क आधारित मूल्य निर्धारित शुरुआत का प्रभाव कई सारे सेक्टर में महसूस किया गया है। यहां तक की इसमें उन सेक्टर को भी एड किया गया है जो डायरेक्ट बेंचमार्क आधारित लोन मूल्य निर्धारण से जुड़े नहीं हैं।
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