Chhath Puja पर पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी महिलाएं
Chhath Puja की शुरुआत पांच नवंबर को नहाय-खाए से होगी। भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित महापर्व छठ हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है।
Chhath Puja 2024 : लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत पांच नवंबर को नहाय-खाए से होगी। भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित महापर्व छठ हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस बार यह पूजा पांच नवंबर से शुरू होगी, जो आठ नवंबर की सुबह अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगी।
Chhath Puja के दौरान महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी।
Chhath Puja 2024 : 5-8 नवम्बर तक का पूरा कार्यक्रम
पांच नवंबर को नहाय-खहाय और छह नवंबर को खरना होगा। इसके बाद छह नवंबर की रात से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। सात नवंबर को तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। आठ नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं।
5 नवंबर 2024
नहाय खाए के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
6 नवंबर 2024
इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़गु वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्यदेव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
7 नवंबर 2024
भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य शाम को।
खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं।
8 नवंबर 2024
खरना के अगले दिन Chhath Puja का समापन किया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्यदेव को अर्घ्य देनेके बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारणा किया जाता है।
यह भी पढ़ें – कर्नाटक सरकार ने विरोध के बीच Waqf अधिनियम के तहत किसानों को बेदखली नोटिस रोके