Puja Khedkar Controversy: भारत में हर साल लाखों स्टूडेंट्स यूपीएससी (UPSC) की तैयारी करते हैं, और लाखो स्टूडेंट परीक्षा देते हैं लेकिन सलेक्शन कुछ बच्चों का ही हो पाता है। यूपीएससी की परीक्षा में अमीर या गरीब नहीं देखा जाता है। जो इस एग्जाम को पास कर लेता है, उसे सारी सुख सुविधाएं जैसे नाम, शोहरत, सम्मान आदि मिल जाती हैं।
वही इस बीच महाराष्ट्र कैडर की प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा विवाद?
पूजा खेडकर 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं। वे अक्सर अपनी वीवीआईपी मांगों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। उन्होंने इस नौकरी को पाने के लिए जो कुछ किया है, वह और भी चौंकाने वाला है। प्राइवेट ऑडी पर लाल बत्ती लगाने और वीआईपी नंबर प्लेट मांगने को लेकर आलोचना झेल रहीं पूजा खेडकर ने यूपीएससी पास करने के लिए जिस कोटे का इस्तेमाल किया था, वो इस कोटे का हकदार नहीं थीं।
पूजा खेडकर ने नॉन क्रीमी ओबीसी कोटे से पाईं नौकरी
पूजा खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए खुद को नॉन क्रीमी ओबीसी कैंडिडेट बताया था, जबकि उनके पिता ने चुनावी हलफनामे में कुछ और ही कहा है। पूजा के पिता दिलीप कोंडिबा खेडकर ने लोकसभा चुनाव 2024 में वंचित बहुजन आघाड़ी के लिए महाराष्ट्र के अहमदनगर से चुनाव लड़ा था। उनके हलफनामे के अनुसार, उनके पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर उनके पास 40 करोड़ की संपत्ति है तो उनकी बेटी पूजा ओबीसी की गैर-क्रीमी लेयर में कैसे आ गईं?
विकलांगता का भी लगाया था सर्टिफिकेट
पूजा खेडकर ने यूपीएससी को दिए अपने हलफनामे में खुद को विकलांग भी बताया था, जिससे कम नंबर मिलने के बाद भी उनका यूपीएससी में सलेक्शन हो गया। सलेक्ट होने के बाद उनका मेडिकल जांच होने था, लेकिन वह टाल-मटोल करती रहीं। उसने अलग-अलग कारणों से छह बार मेडिकल टेस्ट कराने से मना कर दिया।
हालांकि, उन्होंने बाहरी चिकित्सा एजेंसी से MRI रिपोर्ट जमा करने का विकल्प चुना, जिसे यूपीएससी ने मानने से मना कर दिया था। हालांकि, बाद में यूपीएससी ने यह रिपोर्ट स्वीकार कर ली।
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